Friday, 6 April 2012

काफ़िर" शब्द को समझ लेते हैं...!

आज आगे बढ़ने से पहले और उनको समुचित जबाब देने से पहले ""काफ़िर" शब्द को समझ लेते हैं...!

"काफिर" एक अरबी शब्द है जो "कफर" शब्द से बना है और इसका अर्थ होता है.... इस्लाम को नहीं मानने वाला या मूर्ति पूजक अथवा सीधे शब्दों में कहें तो हम हिन्दू....!

"काफ़िर" शब्द का प्रयायवाची शब्द होता "मुशरिक"............ जिसका अर्थ भी मूर्ति पूजक या इस्लाम को ना मानने वाला होता है...!

तो.... इसमें कोई भी छुपा हुआ तथ्य नहीं है कि हम हिन्दू अपने इष्ट भगवन की मूर्ति बना कर उनकी पूजा करते हैं .... जबकि......... मुस्लिमों का कहना है कि इस्लाम में यह वैध नहीं है और इसे "काफ़िर" की संज्ञा दी गयी है....!

तो , मैं मुस्लिमों और उनके सरपरस्त मुर्ख सेकुलरों से कुछ बातें जानना चाहूँगा...... अगर उनमे अक्ल है (अगर चाहो तो अपने बाप जाकिर नाईक को भी बुला लो) ... तो मेरे कुछ सवालों का जबाब दें..... अन्यथा आइन्दा से किसी नाली में चुल्लू भर पानी खोजें और वहीँ पर डूब मरें ...

@ अल्लाह की कोई भी प्रतीक चिन्ह बनाना बुतपरस्ती के तहत आता है चाहे वो मस्जिद बनाना हो या अल्लाह का नाम लिखना हो अथवा 786 लिखना हो ..... फिर तुम काफ़िर नहीं हो तो क्या हो...???

@ काबा की तरफ मुंह करके नमाज या ध्यान लगाना ठीक वैसा ही है जैसे मूर्तिपूजक मूर्ति की तरफ ध्यान लगाते हैं .

@ हजरे असवाद को चूमना ठीक वैसा ही है जैसे क्रिश्चन JISUS का लॉकेट चूमते हैं.

@ काबा के पत्थर को छूना क्या ठीक वैसा ही नहीं है जैसे हिन्दू शिवलिंग छूते हैं ....?????

@ 786 या अल्लाह लिखना क्या हम हिन्दुओं के ॐ या स्वास्तिक लिखने की नक़ल नहीं है...???????

@ ज़मज़म के पानी को पवित्र मानना क्या हुबहू हम हिन्दुओं के गंगा को पवित्र मानने जैसा नहीं हैं ?

@ काबा में हिन्दुओं की तरह बिना सिलाई वाला एकरंगा कपडा पहनना , मक्का में मुंडन करवाना ..... ये सब क्या है...???

@ चाँद - तारे को अल्लाह का चिन्ह मानना क्या है ...????

@ दरगाह पर सड़े गले लाश के सामने अल्लाह -मौला का भजन गला फाड़ -फाड़ कर गाना............ क्या है...????

@ आदम को अल्लाह का image मानना .....क्या है....????

@ नबी (रसूल या मुहम्मद ) ,अपने माता- पिता या किसी व्यक्ति का सम्मान करना क्या पूजा की श्रेणी में नहीं आता है....????????

## हम हिन्दुओं को काफ़िर और मूर्तिपूजक कहने से पहले अपने गिरेबान में झांक कर देख लो.....
चोरी के धर्म और धन पर ज्यादा उछलना उचित नहीं है....

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